बिलासपुर में एफआईआर से नहीं डरे कांग्रेसी, बल्कि हुए और उग्र — सिविल लाइन थाने का घंटों तक घेराव, बोले: जनहित पर चले बुलडोज़र का देंगे जवाब!
बिलासपुर। सिविल लाइन थाना क्षेत्र मंगलवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उग्र प्रदर्शन से थर्रा उठा। तत्कालीन जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी और शहर अध्यक्ष विजय पांडेय के खिलाफ दर्ज एफआईआर ने बिलासपुर की राजनीति में तूफान ला दिया। विरोध में कांग्रेसियों का ऐसा सैलाब उमड़ा कि थाना परिसर घंटों तक नारेबाज़ी और धरना से गूंजता रहा।
एफआईआर के विरोध में कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन
कांग्रेस का यह प्रदर्शन उस एफआईआर के विरोध में था जो भारतीय जनता युवा मोर्चा के दबाव में दर्ज की गई थी।
दरअसल, 27 नवंबर को कांग्रेस ने किसानों की समस्याओं, जर्जर सड़कों, बिजली बिल वृद्धि, रजिस्ट्री शुल्क में बढ़ोतरी, छोटे प्लॉट की रजिस्ट्री पर रोक और गरीबों के मकानों पर बुलडोज़र कार्रवाई के खिलाफ ‘हल्ला बोल आंदोलन’ किया था।
आरोप है कि इस दौरान मुख्यमंत्री के पोस्टर के साथ असम्मानजनक व्यवहार किया गया, जिसके आधार पर पुलिस ने विजय केशरवानी और विजय पांडेय के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
इसके विरोध में आज कांग्रेस भवन से निकली विशाल रैली ने शहर की सड़कों को लाल झंडों से भर दिया और सिविल लाइन थाने का घेराव किया।
थाने के बाहर जंगी प्रदर्शन — बंद हुआ मुख्य द्वार, थाने में अफरा-तफरी
नवनियुक्त शहर अध्यक्ष सिद्धांशु मिश्रा, ग्रामीण अध्यक्ष महेंद्र गंगोत्री, और मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया के नेतृत्व में निकली रैली ने थाने पहुंचते ही नारेबाज़ी शुरू कर दी।
भीड़ इतनी विशाल थी कि पुलिस ने तत्काल मुख्य द्वार बंद कर दिया और बड़ी संख्या में पुलिस बल व महिला कर्मियों को तैनात करना पड़ा।
कांग्रेसजन सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और लगभग दो घंटे तक थाने का घेराव जारी रखा।
स्थिति ऐसी बन गई कि क्षेत्र में आवागमन तक बाधित हो गया।
बीच में दो एम्बुलेंस फंस गईं तो कांग्रेसी तत्काल रास्ता छोड़कर पीछे हटे—फिर लौट आए वही जोश, वही नारे और वही विरोध का जुनून।
केशरवानी–पांडेय पहुंचे थाने, दी गिरफ्तारी
पुलिस अधिकारियों की पहल पर विजय केशरवानी और विजय पांडेय स्वयं थाने पहुंचे और गिरफ्तारी दी।
उनकी उपस्थिति से कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पहले भी नगर निगम घेराव के दौरान कांग्रेस पार्षद लक्ष्मी साहू और गायत्री साहू पर भी इसी तरह राजनीतिक दबाव में एफआईआर दर्ज की गई थी, और अब वही दमनकारी रवैया दोहराया जा रहा है।
सिद्धांशु मिश्रा, अध्यक्ष — शहर कांग्रेस कमेटी
27 नवंबर का कलेक्टोरेट घेराव पूरी तरह शांतिपूर्ण था। न कोई हिंसा हुई, न तोड़फोड़। फिर भी पुलिस ने वाटर कैनन का दुरुपयोग कर एफआईआर की। यह कांग्रेस को डराने की कोशिश है, लेकिन हम डरते नहीं।
महेंद्र गंगोत्री, अध्यक्ष — जिला कांग्रेस कमेटी (ग्रामीण)
अगर आंदोलनों पर एफआईआर होगी तो जनता अपनी बात कहां रखेगी? जनहित के मुद्दों पर लड़ना जनता का अधिकार है और कांग्रेस उसका प्रहरी है।
विजय केशरवानी, निवर्तमान जिला अध्यक्ष
जनहित के लिए सौ बार जेल जाना मंजूर है। हमारी भीड़ देखकर भाजपा बौखला गई है। दो साल की सरकार में न सड़क बनी, न जनता को राहत मिली। हम जनता की आवाज़ को दबने नहीं देंगे।
विजय पांडेय, निवर्तमान शहर अध्यक्ष
भाजपा की सरकार ऊंची दुकान फीका पकवान साबित हुई। अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए विपक्ष पर एफआईआर दर्ज कर रही है। बीएलओ पर दबाव जैसे गंभीर मामलों पर भी सरकार मौन है। यह लोकतंत्र पर हमला है।
राजनीतिक संदेश — संघर्ष और तेज़, कद और बड़ा
आज का यह आंदोलन केवल एफआईआर का विरोध नहीं था, बल्कि कांग्रेस के भीतर बढ़ती एकजुटता और जनाधार का प्रदर्शन भी था।
अध्यक्ष पद से हटने के बावजूद विजय केशरवानी और विजय पांडेय की लोकप्रियता बरकरार दिखी।
हज़ारों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति, अनुशासन और आक्रोश ने साफ संकेत दिया कि आने वाले दिनों में कांग्रेस का जनसंघर्ष और तीखा तथा तेज़ होने वाला है।




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