न्याय की तलाश में खून से लिखी चिट्ठी: 70 वर्षीय ओम बाई की दर्दभरी
"जब खून ही बन गया गवाही: छत्तीसगढ़ की दलित महिला ने खून से लिखा राष्ट्रपति को पत्र, मांगा न्याय"
पावर न्यूज़ 24 भारत रिपोर्ट:
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के छुरा गांव से एक दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है, जहां न्याय के लिए तरस रही एक दलित महिला ने अपने खून से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इंसाफ की गुहार लगाई है। 70 वर्षीय ओम बाई बघेल नाम की इस महिला ने अपने पुश्तैनी जमीन विवाद और उसके साथ हो रहे अन्याय को लेकर जब थक-हारकर प्रशासन से कोई मदद नहीं मिली, तो उसने अपने खून को गवाही बनाकर यह कदम उठाया।
बताया जा रहा है कि ओम बाई गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं और लंबे समय से जमीन विवाद को लेकर न्याय की मांग कर रही थीं। उनका कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन में पूर्वजों की समाधि थी, जिसे छुरा गांव के निवासी संतोष सारडा ने जबरन तुड़वा दिया। इतना ही नहीं, उस जमीन पर कब्जा करके महिला के साथ दुर्व्यवहार भी किया गया।
ओम बाई ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर, एसपी समेत जिले के सभी आला अधिकारियों से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अंततः जब हर दरवाजे पर दस्तक देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने शरीर से खून निकालकर राष्ट्रपति को पत्र लिखा और उसमें न्याय की अपील की।
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक संवेदनहीनता को उजागर करती है, बल्कि उस दर्द और बेबसी की चीख भी है जो एक नागरिक को संविधान के सर्वोच्च रक्षक तक खून की स्याही से लिखे पत्र के जरिए पहुंचानी पड़ रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या राष्ट्रपति भवन से इस आहत आवाज़ को जवाब मिलेगा या यह भी सन्नाटे में गुम हो जाएगी।
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