हैदराबाद की 400 एकड़ हरित भूमि को नेशनल पार्क घोषित किए जाने की माँग

हैदराबाद की 400 एकड़ हरित भूमि को नेशनल पार्क घोषित किए जाने की माँग

ग़ैर लाभकारी संगठन मानवाधिकार एक्शन फोरम ने तेलंगाना सरकार द्वारा प्रस्तावित आईटी पार्क और अन्य परियोजनाओं के निर्माण हेतु 400 एकड़ हरित भूमि की कटाई के निर्णय का विरोध किया है। संगठन ने माँग की है कि उक्त क्षेत्र को तत्काल प्रभाव से नेशनल पार्क घोषित किया जाए और वहाँ किसी प्रकार की वाणिज्यिक गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

यह भूमि हैदराबाद विश्वविद्यालय को आवंटित लगभग 2,500 एकड़ क्षेत्र का हिस्सा है, जिसकी स्थापना 1974 में तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा की गई थी। यह 400 एकड़ क्षेत्र रंगा रेड्डी जिले के सेरिलिंगमपल्ली मंडल के कांचे गाचीबोवली गाँव के सर्वे नंबर 25 के अंतर्गत आता है।

साल 2008-09 में हैदराबाद विश्वविद्यालय और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF-India) द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययन में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि यह क्षेत्र 455 से अधिक वनस्पति और जीवों की प्रजातियों का निवास स्थल है। यहाँ पर हिरण, मोर, जंगली सूअर, कछुए, उभयचर, तितलियाँ, मकड़ियाँ, ड्रैगनफ्लाई, पक्षी, स्तनधारी और औषधीय पौधों सहित विभिन्न जैविक विविधताएँ पाई जाती हैं।

हालाँकि, तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (TGIIC) ने जून 2024 में इस भूमि पर आईटी एवं अन्य वाणिज्यिक परियोजनाओं के विकास का प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे 1 जुलाई 2024 को राजस्व विभाग द्वारा स्वीकृति भी प्रदान कर दी गई। अधिकारियों का दावा है कि राजस्व अभिलेखों के अनुसार यह भूमि "वन भूमि" नहीं है, जबकि मानवाधिकार एक्शन फोरम का तर्क है कि भूमि का वास्तविक पर्यावरणीय स्वरूप और उसमें उपस्थित वन्यजीव ही यह निर्धारित करते हैं कि वह जंगल है, न कि केवल पुराने रिकॉर्ड।

मानवाधिकार एक्शन फोरम के अध्यक्ष एडवोकेट शुभम द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में यह क्षेत्र पूर्णतः एक घना वन बन चुका है, जहाँ समृद्ध जैव विविधता पाई जाती है। उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुरोध किया है कि इस भूमि का पुनः स्वतंत्र पर्यावरणीय सर्वेक्षण कराया जाए और तत्पश्चात यह तय किया जाए कि यह भूमि वास्तव में बंजर/चारागाह है या वनभूमि।

संगठन ने यह भी कहा है कि इस भूमि पर कोई भी विकास कार्य आरंभ करने से पहले पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। चूँकि यह क्षेत्र न केवल जैविक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि हैदराबाद जैसे महानगर के लिए ‘ग्रीन लंग्स’ के रूप में भी कार्य करता है, अतः इसे अछूता छोड़ना आवश्यक है।



माँग पत्र के मुख्य बिंदु:

1. 400 एकड़ की हरित भूमि पर तत्काल प्रभाव से वन कटाई पर रोक लगाई जाए।

2. क्षेत्र का पुनः वैज्ञानिक और पर्यावरणीय सर्वेक्षण कराया जाए।

3. क्षेत्र को नेशनल पार्क घोषित किया जाए।

4. जैव विविधता और पारिस्थितिकी को संरक्षित रखने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाए।

मानवाधिकार एक्शन फोरम ने अपील की है कि भविष्य की पीढ़ियों और पर्यावरण संरक्षण के हित में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम होगा।




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