आगजनी या आंखों में धूल......? मासूम की मौत के बाद सवालों के घेरे में 'श्रीधाम मेडिकल स्टोर' और कन्हैया लाल यादव!

आगजनी या आंखों में धूल......? मासूम की मौत के बाद सवालों के घेरे में 'श्रीधाम मेडिकल स्टोर' और कन्हैया लाल यादव!


बिलासपुर/रतनपुर। रतनपुर के पोड़ी-बतरा रोड पर स्थित श्रीधाम मेडिकल स्टोर में हुई आगजनी की घटना अब खुद ही शक के घेरे में आ गई है। जिस दिन एक नवजात की संदिग्ध इलाज से मौत हुई, ठीक उसी दिन दुकान में लगी "आग" ने अब कई बड़े सवालों की चिंगारी सुलगा दी है।
क्या ये सच में गुस्साए लोगों की करतूत थी? या फिर ये सब एक मनगढ़ंत कहानी है — ताकि कन्हैया लाल यादव मासूम की मौत से ध्यान भटका सकें?

कन्हैया की खुद की शिकायत में बड़ा खुलासा!

पाली थाना में दर्ज रिपोर्ट में कन्हैया लाल यादव पिता स्व. दिलहरन लाल ने खुद को केवल 12वीं पास बताया है — और साथ ही यह भी कि वे स्वयं श्रीधाम मेडिकल स्टोर का संचालन करते हैं।
 अब यहीं से सवाल फटते हैं —
1. जब कन्हैया सिर्फ 12वीं पास हैं, तो मेडिकल स्टोर का लाइसेंस किस आधार पर मिला?
2. क्या ये लाइसेंस किसी और के नाम पर है, और कन्हैया सिर्फ फ्रंट पर दुकान चला रहे थे?
3. अगर लाइसेंस उनका नहीं है, तो FIR में खुद को मालिक बताकर किस अधिकार से रिपोर्ट दर्ज की?
 ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का उल्लंघन?
भारत के कानून के मुताबिक मेडिकल स्टोर चलाने के लिए प्रशिक्षित फार्मासिस्ट और वैध लाइसेंस होना जरूरी है।
यदि बिना योग्य फार्मासिस्ट के दवाएं बेचना और इंजेक्शन लगाना साबित होता है, तो यह सीधा आपराधिक मामला बनता है।

मासूम की मौत — लापरवाही या हत्या सरीखा अपराध? परिजनों का आरोप साफ है —

“बिना जांच-पड़ताल और डिग्री के, नवजात को गलत इंजेक्शन दिया गया, जिससे उसकी जान चली गई।”
अब आशंका यह भी है कि कन्हैया लाल ने खुद को बचाने के लिए 'आगजनी' का नाटक रचा, ताकि कानून का फोकस मौत से हटकर आग की तरफ मुड़ जाए।

सवाल तो और भी हैं... और जवाब अब तक लापता —

  •  क्या श्रीधाम मेडिकल स्टोर का लाइसेंस वैध है?
  •  क्या कन्हैया लाल कानूनी रूप से मेडिकल स्टोर चला सकते हैं?
  •  किसकी जिम्मेदारी थी यह सुनिश्चित करना कि मासूम को सुरक्षित इलाज मिले?
  •  क्या यह सब एक प्लान्ड मोड़ था ताकि बच्चा मरे... और दुकान की आग में सबूत भी जल जाएं?
फिलहाल पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है — मौत की भी और आग की भी।
लेकिन जब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट और लाइसेंस से जुड़ी सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह मामला साज़िश की आंच में तपता रहेगा।

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✍️ रिपोर्टर – दुलाल मुखर्जी
स्थान – बिलासपुर, छत्तीसगढ़


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