जहाँ सरकार नहीं पहुँची, वहाँ पहुँचा डीएमवीवी बीएमएस फाउंडेशन – महिलाओं को दे रहा आत्मनिर्भरता का "असली अर्थ"
गाँव-गाँव में बदलाव की लहर – डीएमवीवी भारतीय महिला शक्ति फाउंडेशन अब केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन बन चुका है। जहाँ सरकार की योजनाएँ कागज़ों तक सीमित हैं, वहीं यह फाउंडेशन बिना किसी सरकारी अनुदान के देश के कोने-कोने में महिलाओं को स्वरोजगार, नेतृत्व, और आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखा रहा है।
अनूठी पहल – ‘स्वरोजगार क्रांति योज़ना’ के तहत इस फाउंडेशन ने अब तक 1000+ महिलाओं को स्थानीय स्तर पर कुटीर उद्योग, हुनर विकास और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से नया जीवन दिया है। बिना किसी शुल्क, बिना किसी शोषण – केवल सेवा और समर्पण के साथ।
महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा नेतृत्व – यह देश का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म बन रहा है जहाँ गाँव की महिलाएँ अब खुद जिला प्रभारी, शाखा प्रबंधक और योजनाओं की योजनाकार बन रही हैं। संगठन में “किसी भी महिला से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा” नीति ने इसे और विशिष्ट बना दिया है।
संस्थापक दुलाल मुखर्जी कहते हैं: “हम किसी पर उपकार नहीं कर रहे, हम तो सिर्फ उनके अंदर की शक्ति को पहचानने का माध्यम बन रहे हैं।”





















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