सैकड़ों मितानिनों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर सौंपा ज्ञापन, केंद्र सरकार से की मांग – “मिलना चाहिए सम्मान और अधिकार”
बिलासपुर, छत्तीसगढ़: मितानिनों (आशा कार्यकर्ताओं) ने वर्षों से लंबित अपनी समस्याओं और अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए एक बार फिर आवाज बुलंद की है। सैकड़ों की संख्या में मितानिन कार्यकर्ताओं ने जिले के कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और श्रम मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और वर्षों से किए जा रहे शोषण, उपेक्षा और अनदेखी को खत्म करने की मांग की।
मितानिनों का योगदान महामारी में सराहनीय:
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि मितानिनों ने कोविड महामारी के दौरान अपनी जान की बाजी लगाकर लाखों लोगों की जिंदगी बचाई, मगर अब उन्हें सिर्फ “स्वयंसेवी” कहकर उनके सभी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
मानदेय नहीं, अपमान मिल रहा है:
कार्यकर्ताओं का कहना है कि दिन-रात मेहनत करने के बाद भी उन्हें अपने परिवार चलाने लायक मानदेय नहीं मिल रहा है। ऊपर से विभागीय दवाब, अपमान और शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
ना मजदूर का दर्जा, ना कर्मचारी का अधिकार:
मितानिनों ने कहा है कि उन्हें ना तो श्रमिक माना गया है, ना ही उन्हें कर्मचारी का दर्जा प्राप्त है। परिणामस्वरूप उन्हें न तो भविष्य निधि (PF), न ग्रेच्युटी, न ही पेंशन या अवकाश की सुविधा मिलती है।
पीएम की घोषणाएं भी नहीं हुईं लागू:
मितानिनों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की घोषणाओं का हवाला देते हुए बताया कि –
कोविड योद्धा के रूप में घोषित 1000 रुपये की अतिरिक्त राशि उन्हें आज तक नहीं मिली।
डिजिटल इंडिया संबोधन में किए गए प्रोत्साहन राशि दोगुना करने की बात भी धरातल पर नहीं उतरी।
कोरोना के समय मितानिन की मृत्यु होने पर घोषित 4 लाख की सहायता और परिवार को सरकारी नौकरी की बात भी आज तक अधूरी है।
मितानिनों की प्रमुख मांगें:
1. मितानिनों को ₹26,000 प्रतिमाह राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन घोषित किया जाए।
2. मितानिनों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
3. PF, ग्रेच्युटी, पेंशन एवं अवकाश सुविधा लागू की जाए।
4. कोरोना योद्धा के रूप में घोषित ₹1000/माह की राशि का भुगतान शीघ्र किया जाए।
5. नवंबर 2018 की डिजिटल इंडिया घोषणा के अनुसार, प्रोत्साहन राशि दोगुनी कर बकाया भुगतान किया जाए।
6. मितानिन की मृत्यु पर ₹4 लाख की सहायता (2 लाख जीवन ज्योति बीमा + 2 लाख सुरक्षा बीमा) तत्काल दी जाए।
7. सेवा के दौरान मृत्यु पर परिवार को ₹10 लाख और एक सदस्य को सरकारी नौकरी तथा पति सहित मृत्यु होने पर सहायता राशि ₹5 लाख की जाए।
"अब संघर्ष ही रास्ता" – मितानिनों का ऐलान
ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया कि वर्षों से राज्य सरकार और केंद्र सरकार के दरवाजे खटखटाने के बावजूद जब कोई ठोस हल नहीं निकला तो अब मितानिनों को आंदोलन और हड़ताल के रास्ते पर मजबूर होना पड़ रहा है।
संघर्ष की नई दस्तक – देशभर में उठ रही है आवाज
मितानिनों ने देशभर की सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होंगी।
सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में है – आखिर क्यों नहीं सुनाई दे रही मितानिनों की पुकार?
रिपोर्ट: POWER NEWS 24 BHARAT
स्थान: कलेक्टर कार्यालय परिसर, छत्तीसगढ़




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